Sunday, June 8, 2014

Chal Meri Dholak Tamak Tum ( Bhartiya kahania bachchon ke liye)

एक मेमना अपनी माँ  के साथ बस्ती से लगे हुए जंगल में रहता था. Sheep and lamb

उसकी नानी जो की जंगल के दूसरे छोर पर रहती थीं, समय समय पर उससे मिलने आती थी ,एक बार काफी दिन गुज़र गए और नानी का आना नहीं हुआ. मेमने को नानी की बहुत याद आने लगी उसने अपनी माँ से कहा की माँ मुझे नानी की याद आ रही है मुझे नानी के यहाँ जाना है. माँ ने कहा ,'' बेटा , तुम्हारी नानी का घर तो  जंगल के दूसरे छोर पर है ,जाने आने में  समय लगेगा , मेरे पास बहुत काम है , जाना मुश्किल है। " मेमना ज़िद्द करने लगा , मुझे तो जाना है, जाना है ,मैं  अकेला ही चला जाऊंगा। माँ ने बहुत समझाया मगर वो नहीं माना। अकेले ही जाने की ज़िद्द करने लगा, कहने लगा की मैं  बड़ा हो गया हूँ ,मुझे रास्ता मालूम हैं, मै अकेले चला जाऊंगा। माँ के बहुत मन करने पर जब मेमना नहीं माना तो माँ को उसे भेजना हि पड़ा। मेमना ख़ुशी ख़ुशी जंगल  की ओर बढ़ा।
 जैसे  मेमना जंगल में आगे बढ़ा ही था की उसे  उसे खूंखार  भेड़िया दिखाई दिआ।


 भेड़िये ने मेमने  को  गरजते  हुए रोक और बोला ," मेमने -मेमने  कहाँ जा रहा है , मैं तुझे खाऊंगा ".
मेमने ने  बिना डरे जवाब दिया ,"नानी के घर जाऊंगा दूध मलाई खाऊंगा , मोटा हो कर आऊंगा फिर तुम मुझे खा लेना"।
भेड़िये ने मेमने की बात मान ली  और कहा ठीक है मैं इंतज़ार करूंगा।

मेमना जंगल में आगे बढ़ने लगा तभी उसे कला मोटा भालू दिखाई दिया।


भालू ने जब सुन्दर छोटे मैंने को देखा तो उसके मुँह में पानी आ गया।

भालू  ने मेमने  को रोक और बोला" मेमने -मेमने  कहाँ जा रहा , है , मैं तुझे खाऊंगा ".
मेमने ने  बिना डरे जवाब दिया ,"नानी के घर जाऊंगा दूध मलाई खाऊंगा , मोटा हो कर आऊंगा फिर तुम मुझे खा लेना"।
भालू  ने मेमने की बात मान ली  और कहा ठीक है मैं इंतज़ार करूंगा।

मेमना खूब जल्दी जल्दी आगे बढ़  रहा था तभी उसे सामने से तेंदुआ आता हुआ दिखाई दिया।


इतने नरम-नरम मांस वाले मेमने  को देख कर उसके मुँह में पानी आ गया। उसने मेमने को आवाज़ दी , "मेमने ," मेमने -मेमने  कहाँ जा रहा है , मैं तुझे खाऊंगा ".
मेमने ने  बिना डरे जवाब दिया ,"नानी के घर जाऊंगा दूध मलाई खाऊंगा , मोटा हो कर आऊंगा फिर तुम मुझे खा लेना"।
तेंदुए ने सोचा की जब ये मोटा हो जायेगा तो इस खाने में और भी मज़ा आएगा और उसने   मेमने की बात मान ली  और कहा, ठीक है मैं इंतज़ार करूंगा।

मेमने को अब डर के मारे ज़ोर से भागने लगा तभी उसने शेर को आते हुए देखा।


शेर ने उससे कहा,," मेमने -मेमने  कहाँ जा रहा है , मैं तुझे खाऊंगा ".
मेमने ने  बिना डरे जवाब दिया ,"नानी के घर जाऊंगा दूध मलाई खाऊंगा , मोटा हो कर आऊंगा फिर तुम मुझे खा लेना"।
शेर   ने मेमने की बात मान ली  और कहा ठीक है मैं इंतज़ार करूंगा।
मेमने की जान में जान आई वह अब नानी के  घर के पास आ चूका था।  भाग कर वह नानी के घर पहुँच गया।
   नानी उसे देख कर बहुत खुश हुईं ,उन्होंने उसे बहुत प्यार किया।


  नानी से मिलकर वो सब कुछ भूल गया।  वो रोज़ सुबह नानी के साथ घूमने जाता , नानी उसके लिए तरह तरह के पकवान बनती। नानी के प्यार दुलार में  समय कैसे गुज़र गया  पता ही नहीं ,फिर उसे माँ की याद आने लगी. उसने नानी से कहा ," नानी मुझे माँ की याद आ रही है मुझे घर जाना है।  नानी ने कहा बेटा तुम अकेले कैसे जाओगे। मैं चला जाऊंगा नानी।  एक एक मेमने ने कहा ही था की याद आया की उसका इंतज़ार तो भेड़िया, भालू ,तेंदुआ और शेर कर रहें हैं। जिनसे उसने वादा किया है की वो लौट कर आएगा तो वो उसे खा सकते हैं। उसने नानी को पूरी बात बताई।  नानी भी चिंतित हो गयी। उसकी नानी  को एक  उपाय सूझा उन्होंने  एक ढोलक ली और उसको एक तरफ से खोल दिया और उसमे मेमने को बैठा दिया।

 मेमना बोला," चल मेरी ढोलक टमक टुम , टमक टुम भाईटमक टुम   ढोलक लुढ़कने लगी और मेमना उसमे सवार हो अपने घर  के लिए निकल पड़ा।
जंगल में सभी जानवर मेमने का इंतज़ार कर रहे थे। मेमना अपनी ढोलक में बैठ कर चला जा रहा था , कहता -चल मेरी ढोलक टमक टुम , टमक टुम भाईटमक टुम और ढोलक तेज़ी से लुढ़कने लगती।

कुछ दूर चलने पर उसे शेर दिखाई पड़ा शेर ने उससे पुछा ," ढोलक -ढोलक , तुमने  कहीं  मेमने  को देखा है।  मेमना ढोलक के अंदर से बोला ,"मै  किसी मेमने  -वेमने को नहीं जनता।  और ढोलक से कहता," चल मेरी ढोलक टमक टुम , टमक टुम भाईटमक टुम".  और ढोलक ज़ोर्र्ों से लुढ़कने लगती.

ज्यों ज्यों मेमने  की ढोलक जंगल से गुज़री भालू,तेंदुआ , और भेड़िया मिले , सभी ने ढोलक से पुछा ,"ढोलक -ढोलक , तुमने  कहीं  मेमने  को देखा है।  मेमना ढोलक के अंदर से बोला ,"मै  किसी मेमने  -वेमने को नहीं जनता।  और ढोलक से कहता," चल मेरी ढोलक टमक टुम , टमक टुम भाईटमक टुम".  और ढोलक ज़ोर् से  लुढ़कने लगती.

 ढोलक में सवार मेमना शीघ्र अपने घर पहुँच गया। मेमने की माँ मेमने को देख कर बहुत खुश हुई।

सीख - बुद्धिमानी और हिम्मत से कोई भी काम मुश्किल नहीं होता।