Saturday, August 30, 2014

Bel- ek labhkari phal

गर्मी के मौसम में विभिन्न प्रकार की समस्याएं जन्म लेने लगाती है.  प्रकृति ने इन समस्याओं से निपटने के लिए फल का इंतज़ाम कियाहै. बेल गर्मियों में पाया जाने वाला फल है जिसका बाहरी भाग लकड़ी के सामान सख़्त होता है,किन्तु उसको तोड़ने पर बेहद मीठा एवं लाभकारी गूदा निकलता है. बेल पेट के लिए बेहद लाभकारी है. इसके सेवन से कब्ज़ , बदहज़मी  दूर होती है। ये  peptic अलसर  में  भी फायदा करता है।  इसके सेवन से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. ये बैक्टीरिया एवं वायरस के आक्रमण को रोकता है. ये कैंसर से भी लड़ता है.
 बेल का शरबत बहुत आसानी पूर्वक बनाया जा सकता है इसके लिए बेल के गूदे को ७-८ घंटे तक पानी में भीगा देना चाहिए , उसके बाद उसको मसल कर गूदा निकाल  कर छन्नी से छान लें।  इसमें स्वादानुसार शक्कर मिलाये और अतिरिक्त पानी डालें, बर्फ डाल  कर परोसें।   एक स्वादिष्ट  और स्वस्थ वर्धक पेय तैयार है.

Sunday, June 8, 2014

Chal Meri Dholak Tamak Tum ( Bhartiya kahania bachchon ke liye)

एक मेमना अपनी माँ  के साथ बस्ती से लगे हुए जंगल में रहता था. Sheep and lamb

उसकी नानी जो की जंगल के दूसरे छोर पर रहती थीं, समय समय पर उससे मिलने आती थी ,एक बार काफी दिन गुज़र गए और नानी का आना नहीं हुआ. मेमने को नानी की बहुत याद आने लगी उसने अपनी माँ से कहा की माँ मुझे नानी की याद आ रही है मुझे नानी के यहाँ जाना है. माँ ने कहा ,'' बेटा , तुम्हारी नानी का घर तो  जंगल के दूसरे छोर पर है ,जाने आने में  समय लगेगा , मेरे पास बहुत काम है , जाना मुश्किल है। " मेमना ज़िद्द करने लगा , मुझे तो जाना है, जाना है ,मैं  अकेला ही चला जाऊंगा। माँ ने बहुत समझाया मगर वो नहीं माना। अकेले ही जाने की ज़िद्द करने लगा, कहने लगा की मैं  बड़ा हो गया हूँ ,मुझे रास्ता मालूम हैं, मै अकेले चला जाऊंगा। माँ के बहुत मन करने पर जब मेमना नहीं माना तो माँ को उसे भेजना हि पड़ा। मेमना ख़ुशी ख़ुशी जंगल  की ओर बढ़ा।
 जैसे  मेमना जंगल में आगे बढ़ा ही था की उसे  उसे खूंखार  भेड़िया दिखाई दिआ।


 भेड़िये ने मेमने  को  गरजते  हुए रोक और बोला ," मेमने -मेमने  कहाँ जा रहा है , मैं तुझे खाऊंगा ".
मेमने ने  बिना डरे जवाब दिया ,"नानी के घर जाऊंगा दूध मलाई खाऊंगा , मोटा हो कर आऊंगा फिर तुम मुझे खा लेना"।
भेड़िये ने मेमने की बात मान ली  और कहा ठीक है मैं इंतज़ार करूंगा।

मेमना जंगल में आगे बढ़ने लगा तभी उसे कला मोटा भालू दिखाई दिया।


भालू ने जब सुन्दर छोटे मैंने को देखा तो उसके मुँह में पानी आ गया।

भालू  ने मेमने  को रोक और बोला" मेमने -मेमने  कहाँ जा रहा , है , मैं तुझे खाऊंगा ".
मेमने ने  बिना डरे जवाब दिया ,"नानी के घर जाऊंगा दूध मलाई खाऊंगा , मोटा हो कर आऊंगा फिर तुम मुझे खा लेना"।
भालू  ने मेमने की बात मान ली  और कहा ठीक है मैं इंतज़ार करूंगा।

मेमना खूब जल्दी जल्दी आगे बढ़  रहा था तभी उसे सामने से तेंदुआ आता हुआ दिखाई दिया।


इतने नरम-नरम मांस वाले मेमने  को देख कर उसके मुँह में पानी आ गया। उसने मेमने को आवाज़ दी , "मेमने ," मेमने -मेमने  कहाँ जा रहा है , मैं तुझे खाऊंगा ".
मेमने ने  बिना डरे जवाब दिया ,"नानी के घर जाऊंगा दूध मलाई खाऊंगा , मोटा हो कर आऊंगा फिर तुम मुझे खा लेना"।
तेंदुए ने सोचा की जब ये मोटा हो जायेगा तो इस खाने में और भी मज़ा आएगा और उसने   मेमने की बात मान ली  और कहा, ठीक है मैं इंतज़ार करूंगा।

मेमने को अब डर के मारे ज़ोर से भागने लगा तभी उसने शेर को आते हुए देखा।


शेर ने उससे कहा,," मेमने -मेमने  कहाँ जा रहा है , मैं तुझे खाऊंगा ".
मेमने ने  बिना डरे जवाब दिया ,"नानी के घर जाऊंगा दूध मलाई खाऊंगा , मोटा हो कर आऊंगा फिर तुम मुझे खा लेना"।
शेर   ने मेमने की बात मान ली  और कहा ठीक है मैं इंतज़ार करूंगा।
मेमने की जान में जान आई वह अब नानी के  घर के पास आ चूका था।  भाग कर वह नानी के घर पहुँच गया।
   नानी उसे देख कर बहुत खुश हुईं ,उन्होंने उसे बहुत प्यार किया।


  नानी से मिलकर वो सब कुछ भूल गया।  वो रोज़ सुबह नानी के साथ घूमने जाता , नानी उसके लिए तरह तरह के पकवान बनती। नानी के प्यार दुलार में  समय कैसे गुज़र गया  पता ही नहीं ,फिर उसे माँ की याद आने लगी. उसने नानी से कहा ," नानी मुझे माँ की याद आ रही है मुझे घर जाना है।  नानी ने कहा बेटा तुम अकेले कैसे जाओगे। मैं चला जाऊंगा नानी।  एक एक मेमने ने कहा ही था की याद आया की उसका इंतज़ार तो भेड़िया, भालू ,तेंदुआ और शेर कर रहें हैं। जिनसे उसने वादा किया है की वो लौट कर आएगा तो वो उसे खा सकते हैं। उसने नानी को पूरी बात बताई।  नानी भी चिंतित हो गयी। उसकी नानी  को एक  उपाय सूझा उन्होंने  एक ढोलक ली और उसको एक तरफ से खोल दिया और उसमे मेमने को बैठा दिया।

 मेमना बोला," चल मेरी ढोलक टमक टुम , टमक टुम भाईटमक टुम   ढोलक लुढ़कने लगी और मेमना उसमे सवार हो अपने घर  के लिए निकल पड़ा।
जंगल में सभी जानवर मेमने का इंतज़ार कर रहे थे। मेमना अपनी ढोलक में बैठ कर चला जा रहा था , कहता -चल मेरी ढोलक टमक टुम , टमक टुम भाईटमक टुम और ढोलक तेज़ी से लुढ़कने लगती।

कुछ दूर चलने पर उसे शेर दिखाई पड़ा शेर ने उससे पुछा ," ढोलक -ढोलक , तुमने  कहीं  मेमने  को देखा है।  मेमना ढोलक के अंदर से बोला ,"मै  किसी मेमने  -वेमने को नहीं जनता।  और ढोलक से कहता," चल मेरी ढोलक टमक टुम , टमक टुम भाईटमक टुम".  और ढोलक ज़ोर्र्ों से लुढ़कने लगती.

ज्यों ज्यों मेमने  की ढोलक जंगल से गुज़री भालू,तेंदुआ , और भेड़िया मिले , सभी ने ढोलक से पुछा ,"ढोलक -ढोलक , तुमने  कहीं  मेमने  को देखा है।  मेमना ढोलक के अंदर से बोला ,"मै  किसी मेमने  -वेमने को नहीं जनता।  और ढोलक से कहता," चल मेरी ढोलक टमक टुम , टमक टुम भाईटमक टुम".  और ढोलक ज़ोर् से  लुढ़कने लगती.

 ढोलक में सवार मेमना शीघ्र अपने घर पहुँच गया। मेमने की माँ मेमने को देख कर बहुत खुश हुई।

सीख - बुद्धिमानी और हिम्मत से कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। 

Friday, May 23, 2014

Sadhu aur aajgar. ( Kahani Suni Sunai)

एक जंगल में एकऋषि का अश्राम्र  था  आश्रमसुन्दर पेड़ पौधों से घिरा था , उस आश्रम  मे विभिन्न प्रकार के जीव जन्तु  रहते थे. आश्रम में रहने वाले अजगर से सभी भयभीत थे.



ऋषि जी अक्सर आस पास के गाव मे रहने वाले लोगों को प्रवचन करते थे. एक दिन अजगर शिकार कर के वहीं पास मे पड़ा हुआ था
उसने ऋषिवर को कहते हुए सुना की हमें किसी भी प्राणी को नुकसान नहीं पहुचना चाहिए , हर जीव में ईश्वर का वास होता है. ऋषि की बातों का उसपर काफ़ी प्रभाव पड़ा. उसने उस दिन से निश्चय कर लिया की वो किसी भी प्राणी को नुकसान नहीं पहुचाएगा. उसने अश्रमर मे उपस्थित एक बड़े पेड़ के नीचे शरण ली और ऋषिवर की बातों को जीवन में उतरने की कोशिश करने लगा. उसने निश्चय किया की वो मासूम जानवरों का शिकार नहीं करेगा जी प्रकार अन्य जीव शाकाहार करते है वो भी शाकाहार करेगा. वो किसी भी जीव को डराएगा नहीं. छोटे बच्चोंको तो बिल्कुल भी नहीं. जैसा की हम सभी जानते है, अजगर माँसाहारी  होता है वो उसका यह निर्णय उसके लिए घातक सिद्ध हुआ और वह बीमार पड़ गया. नटखट बच्चे जो अभी तक उससे डरते थे, निडर होने लगे , कुछ  बच्चों ने उसपर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया. अजगर की हालत दिन पर दिन खराब होने लगी. उसका हिलना डुलना भी मुश्किल हो गया. ऋषिवर को जब यह पता चला तो वो अजगर के पास आए और उन्होंने उससे उसकी तबीयत का हाल पूछा. अजगर जो की ऋषि का बड़ा भक्त हो चुका था , ऋषि को पास पा कर बहुत प्रसन्न हुआ. उसने उन्हे बताया की वो उनके बताए हुए रास्ते में चलने का प्रयास कर रहा है. वो अपने पापों से मुक्त होना चाहता है,उसने शाकाहारी भोजन लेना शुरू कर दिया है और वो किसी प्राणी को नुकसान नही पहुँचता, बच्चों को डरता भी नहीं. अच्छा तो ये बात है. ऋषिवार ने कहा . तभी ये छोटे- छोटे बच्चे जो तुम्हारे नाम से डरते थे तुम पर पत्थर फेंक रहें हैं. ऋषि ने उसे समझाया की माँसाहारी होना तुम्हारी ज़रूरत है क्योंकि तुम्हारा शरीर माँसाहार के लिए ही बना है, अतः जीवों का शिकार करना तुम्हारे लिए पाप नहीं है. जीव, जीव का भोजन है यह चक्र ईश्वर ने बनाया है, तुम उस श्रंखला की कड़ी हो. यह फुड वेब ईश्वर ने धरती को संतुलित रखने के लिए बनाया है. प्रकृति के इस नियम को तोड़ कर तुम जीवित नही रह सकते. यह तुम्हारे लिए पाप भी नहीं है. जहाँ तक बच्चों का सवाल है तुम उन्हें नुकसान मत पहुँचाओं पर भयभीत तो रखो वरना वो पत्थर मार मार कर अधमरा कर देंगे. अपने जीवन की सुरक्षा भी तुम्हें स्वयं ही करनी है. अतः तुम भले ही उन्हें काटो मत पर फुंफ़करो अवश्य . जीवन भलीभाँति जीने के लिए विरोधियों में भय होना आवश्यक है. अधिक मिठास चीटियों का भोजन बनती है.