स्वस्थ बालयकाल स्वस्थ जीवन. आज भी लोगों में ऐसा विश्वास है की नवजात शिशु का पहल साल बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. बच्चे की रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता काम होती है. ऐसा मन जाता है की जो बच्चे एक साल तक काम बीमार पड़ते है वे आगे भी स्वस्थ रहते है. शिशु को स्वश्थ रखने और उचित पोषड में स्तनपान का महत्वपूर्ण योगदान है. प्रसव उपरांत बच्चे को एक घंटे के अन्दर माँ का गढ़ दूध जिसे कोलोस्ट्रम कहते है देने से बच्चों की रोगों के प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. तथा छः माह तक केवल माँ का दूध पीने से बच्चे इन्फेक्शन से बचे रहते है यह एक कुदरती वैक्सीन है । यही नहीं माँ का दूध पीने वाले बच्चे ऊपर का दूध पीने वाले बच्चों की तुलना में अधिक बुद्धिमान होतें है, यही नहीं स्तनपान करवाने से माता का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है. आज महिलाये घर के अतिरिक्त बहार की ज़िम्मेदारी भी उठा रही है। इस दोहरी ज़िम्मेदारी में हमारी अगली पीढ़ी दुष्प्रभावित न हो इसका हमें ध्यान देना है. कामकाजी महिलाएं आपने शिशु को स्तनपान करा सके यह अत्यावश्यक है. इस परपेक्ष में सुरक्षा नीति अत्यंत महत्वपूर्ण है जो महिलाओं को सम्मान पूर्वक कार्य करने का अधिकार देती है. स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए कार्यस्थल में पालना घर की सुविधा तथा दिन में दो बार बच्चे को स्तनपान के लिए अवकाश सम्मिलित है. संवेदना ने सतनवाड़ा जिला शिवपुरी में जा कर प्रसूताओं से मुलाकात कर उन्हें स्तनपान करने के सही तरीके एवं लाभ के विषय में बताया. सामान्य तौर पर शिशु को १०-१२ घंटे तक स्तन पान न कराने कि भ्रान्ति को कोलोस्ट्रम की जानकारी दे कर दूर करने का किया तथा नयी प्रसूता को घंटे घंटे पर स्तनपान करे के लिए प्रेरित किया. कामकाजी महिलाओं को उनके मातृत्व सम्बन्धी अधिकारों के विषय में जानकारी प्रदान करी.
Dunia- Meri Nazar Mein
Saturday, August 8, 2015
Thursday, June 25, 2015
Prakriti ke rang
हर साल की तरह इस साल भी गर्मी आई और पशु पक्षी सभी इससे बेहाल लगे है, किन्तु हर मौसम का अपना होता है अपनी छटा होती है. चारों तरफ कहीं सूखे पत्तों रहित डालें है तो कहीं इस गर्मी में भी हरी डालें. यूँ तो अक्सर लोग गर्मी की शिकायत ही करते हैं पर गर्मी भी बेहद खूबसूरत होती है. सेमल के पेड़ को पहले लाल फूलों से लड़ा फिर सफ़ेद फलों से लदा देखा, दोनों ही रूपों में उसके छटा देखने लायक थी फिर धीरे धीर सेमल में केवल टहनियां नज़र आने लगी और ये नज़ारा भी काम खूबसूरत नहीं होता। इसी पेड़ की ऊँची टहनियों पर सुन्दर पक्षी बैठने लगे.
Rose ringed Parakeets |
तोते कई प्रकार के होते है ,सुना तो था मगर सोचा नहीं था कि कभी मुझे भी मौका मिलेगा इन्हे देखने का। एक दिन लाल रंग के सर वाले तोते तथा सिलेटी रंग के तोतों का समूह पेड़ की डाल पर बैठा , पहले तो लगा की ये दो प्रकार के पक्षी है किन्तु किताब में खोजने पर पता चला की ये पल्म हेडेड पैराकीट के नर एवं मादा हैं.
इन पक्षियों या यूँ कहें जानवरों की दुनिया भी बड़ी खूबसूरत एवँ रोचक है. यहाँ नर मादा से ज़्यादा सुन्दर है और प्रजनन कल में और भी खूबसूरत हो जाता है, जबकि मादा देखने में इतनी सुन्दर नहीं होती है. इसके अतिरिक्त नर पक्षी (पशु भी ) मादा को लुभाने के लिए आकर्षक क्रिया कलाप करते है. मोर का नाचना, नीलकंठ का करतब दिखाना , किंगफिशर का अपनी मादा को स्वादिष्ट मछली भेंट करना कुछ रोचक तथय है,
मुझे भी इस गर्मी में सुन्दर नर एवं मादा पक्षियों के करतब दिखाई दिए। नर कोयल को अपनी प्रेमिका अथवा गर्ल फ्रेंड को नीम के फल के सामान फल उपहार देने की कोशिश करते हुए देखा. मादा कोयल सभी लवली लेडीज की तरह नखरे देखा रही थी और उस दिन तो कोयल महाशय को सफलता नहीं ही मिली। कुछ दिनों बाद मैंने उस कोयल के जोड़े को बेहद गर्मी में साथ साथ अपनी प्यास बुझते हुए देखा अतः दोस्ती तो उन दोनों में हो ही गयी। मादा कोयल कुछ अधिक शर्मीली होती है और प्रायः पत्तों में छूपी रहती है नर कोयल ज़रूर हमारी खिड़की के पीछे अक्सर दिखाई पडा।
मादा कोयल चितकबरी और भूरे रंग की होती है यह बात भी मुझे कुछ दिनों पूर्व या यूँ कहें पिछले साल ही पता चली\. प्राकृति के कितने रंग है न जाने अभी भी कितना हमसे छुपा है कुछ पता नहीं. प्रकृति के जितना करीब जाओ उतनी ही नई बातें पता चलती हैं. कोयल की प्रेमकथा कहाँ एक पहुंची अभी कुछ पता नहीं पर कई पक्षियों के जोड़ों ने जैसे,बुलबुल, ड्रोंगो,उल्लू मैना ने घर बसाया और उनके छोटे छोटे बच्चों को देखने का आनंद हमने भी उठाया।
Saturday, August 30, 2014
Bel- ek labhkari phal
गर्मी के मौसम में विभिन्न प्रकार की समस्याएं जन्म लेने लगाती है. प्रकृति ने इन समस्याओं से निपटने के लिए फल का इंतज़ाम कियाहै. बेल गर्मियों में पाया जाने वाला फल है जिसका बाहरी भाग लकड़ी के सामान सख़्त होता है,किन्तु उसको तोड़ने पर बेहद मीठा एवं लाभकारी गूदा निकलता है. बेल पेट के लिए बेहद लाभकारी है. इसके सेवन से कब्ज़ , बदहज़मी दूर होती है। ये peptic अलसर में भी फायदा करता है। इसके सेवन से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. ये बैक्टीरिया एवं वायरस के आक्रमण को रोकता है. ये कैंसर से भी लड़ता है.
बेल का शरबत बहुत आसानी पूर्वक बनाया जा सकता है इसके लिए बेल के गूदे को ७-८ घंटे तक पानी में भीगा देना चाहिए , उसके बाद उसको मसल कर गूदा निकाल कर छन्नी से छान लें। इसमें स्वादानुसार शक्कर मिलाये और अतिरिक्त पानी डालें, बर्फ डाल कर परोसें। एक स्वादिष्ट और स्वस्थ वर्धक पेय तैयार है.
बेल का शरबत बहुत आसानी पूर्वक बनाया जा सकता है इसके लिए बेल के गूदे को ७-८ घंटे तक पानी में भीगा देना चाहिए , उसके बाद उसको मसल कर गूदा निकाल कर छन्नी से छान लें। इसमें स्वादानुसार शक्कर मिलाये और अतिरिक्त पानी डालें, बर्फ डाल कर परोसें। एक स्वादिष्ट और स्वस्थ वर्धक पेय तैयार है.
Sunday, June 8, 2014
Chal Meri Dholak Tamak Tum ( Bhartiya kahania bachchon ke liye)
एक मेमना अपनी माँ के साथ बस्ती से लगे हुए जंगल में रहता था.
उसकी नानी जो की जंगल के दूसरे छोर पर रहती थीं, समय समय पर उससे मिलने आती थी ,एक बार काफी दिन गुज़र गए और नानी का आना नहीं हुआ. मेमने को नानी की बहुत याद आने लगी उसने अपनी माँ से कहा की माँ मुझे नानी की याद आ रही है मुझे नानी के यहाँ जाना है. माँ ने कहा ,'' बेटा , तुम्हारी नानी का घर तो जंगल के दूसरे छोर पर है ,जाने आने में समय लगेगा , मेरे पास बहुत काम है , जाना मुश्किल है। " मेमना ज़िद्द करने लगा , मुझे तो जाना है, जाना है ,मैं अकेला ही चला जाऊंगा। माँ ने बहुत समझाया मगर वो नहीं माना। अकेले ही जाने की ज़िद्द करने लगा, कहने लगा की मैं बड़ा हो गया हूँ ,मुझे रास्ता मालूम हैं, मै अकेले चला जाऊंगा। माँ के बहुत मन करने पर जब मेमना नहीं माना तो माँ को उसे भेजना हि पड़ा। मेमना ख़ुशी ख़ुशी जंगल की ओर बढ़ा।
जैसे मेमना जंगल में आगे बढ़ा ही था की उसे उसे खूंखार भेड़िया दिखाई दिआ।
भेड़िये ने मेमने को गरजते हुए रोक और बोला ," मेमने -मेमने कहाँ जा रहा है , मैं तुझे खाऊंगा ".
मेमने ने बिना डरे जवाब दिया ,"नानी के घर जाऊंगा दूध मलाई खाऊंगा , मोटा हो कर आऊंगा फिर तुम मुझे खा लेना"।
भेड़िये ने मेमने की बात मान ली और कहा ठीक है मैं इंतज़ार करूंगा।
मेमना जंगल में आगे बढ़ने लगा तभी उसे कला मोटा भालू दिखाई दिया।
भालू ने जब सुन्दर छोटे मैंने को देखा तो उसके मुँह में पानी आ गया।
भालू ने मेमने को रोक और बोला" मेमने -मेमने कहाँ जा रहा , है , मैं तुझे खाऊंगा ".
मेमने ने बिना डरे जवाब दिया ,"नानी के घर जाऊंगा दूध मलाई खाऊंगा , मोटा हो कर आऊंगा फिर तुम मुझे खा लेना"।
भालू ने मेमने की बात मान ली और कहा ठीक है मैं इंतज़ार करूंगा।
मेमना खूब जल्दी जल्दी आगे बढ़ रहा था तभी उसे सामने से तेंदुआ आता हुआ दिखाई दिया।
इतने नरम-नरम मांस वाले मेमने को देख कर उसके मुँह में पानी आ गया। उसने मेमने को आवाज़ दी , "मेमने ," मेमने -मेमने कहाँ जा रहा है , मैं तुझे खाऊंगा ".
मेमने ने बिना डरे जवाब दिया ,"नानी के घर जाऊंगा दूध मलाई खाऊंगा , मोटा हो कर आऊंगा फिर तुम मुझे खा लेना"।
तेंदुए ने सोचा की जब ये मोटा हो जायेगा तो इस खाने में और भी मज़ा आएगा और उसने मेमने की बात मान ली और कहा, ठीक है मैं इंतज़ार करूंगा।
मेमने को अब डर के मारे ज़ोर से भागने लगा तभी उसने शेर को आते हुए देखा।
शेर ने उससे कहा,," मेमने -मेमने कहाँ जा रहा है , मैं तुझे खाऊंगा ".
मेमने ने बिना डरे जवाब दिया ,"नानी के घर जाऊंगा दूध मलाई खाऊंगा , मोटा हो कर आऊंगा फिर तुम मुझे खा लेना"।
शेर ने मेमने की बात मान ली और कहा ठीक है मैं इंतज़ार करूंगा।
मेमने की जान में जान आई वह अब नानी के घर के पास आ चूका था। भाग कर वह नानी के घर पहुँच गया।
नानी उसे देख कर बहुत खुश हुईं ,उन्होंने उसे बहुत प्यार किया।
नानी से मिलकर वो सब कुछ भूल गया। वो रोज़ सुबह नानी के साथ घूमने जाता , नानी उसके लिए तरह तरह के पकवान बनती। नानी के प्यार दुलार में समय कैसे गुज़र गया पता ही नहीं ,फिर उसे माँ की याद आने लगी. उसने नानी से कहा ," नानी मुझे माँ की याद आ रही है मुझे घर जाना है। नानी ने कहा बेटा तुम अकेले कैसे जाओगे। मैं चला जाऊंगा नानी। एक एक मेमने ने कहा ही था की याद आया की उसका इंतज़ार तो भेड़िया, भालू ,तेंदुआ और शेर कर रहें हैं। जिनसे उसने वादा किया है की वो लौट कर आएगा तो वो उसे खा सकते हैं। उसने नानी को पूरी बात बताई। नानी भी चिंतित हो गयी। उसकी नानी को एक उपाय सूझा उन्होंने एक ढोलक ली और उसको एक तरफ से खोल दिया और उसमे मेमने को बैठा दिया।
मेमना बोला," चल मेरी ढोलक टमक टुम , टमक टुम भाईटमक टुम ढोलक लुढ़कने लगी और मेमना उसमे सवार हो अपने घर के लिए निकल पड़ा।
जंगल में सभी जानवर मेमने का इंतज़ार कर रहे थे। मेमना अपनी ढोलक में बैठ कर चला जा रहा था , कहता -चल मेरी ढोलक टमक टुम , टमक टुम भाईटमक टुम और ढोलक तेज़ी से लुढ़कने लगती।
कुछ दूर चलने पर उसे शेर दिखाई पड़ा शेर ने उससे पुछा ," ढोलक -ढोलक , तुमने कहीं मेमने को देखा है। मेमना ढोलक के अंदर से बोला ,"मै किसी मेमने -वेमने को नहीं जनता। और ढोलक से कहता," चल मेरी ढोलक टमक टुम , टमक टुम भाईटमक टुम". और ढोलक ज़ोर्र्ों से लुढ़कने लगती.
ज्यों ज्यों मेमने की ढोलक जंगल से गुज़री भालू,तेंदुआ , और भेड़िया मिले , सभी ने ढोलक से पुछा ,"ढोलक -ढोलक , तुमने कहीं मेमने को देखा है। मेमना ढोलक के अंदर से बोला ,"मै किसी मेमने -वेमने को नहीं जनता। और ढोलक से कहता," चल मेरी ढोलक टमक टुम , टमक टुम भाईटमक टुम". और ढोलक ज़ोर् से लुढ़कने लगती.
उसकी नानी जो की जंगल के दूसरे छोर पर रहती थीं, समय समय पर उससे मिलने आती थी ,एक बार काफी दिन गुज़र गए और नानी का आना नहीं हुआ. मेमने को नानी की बहुत याद आने लगी उसने अपनी माँ से कहा की माँ मुझे नानी की याद आ रही है मुझे नानी के यहाँ जाना है. माँ ने कहा ,'' बेटा , तुम्हारी नानी का घर तो जंगल के दूसरे छोर पर है ,जाने आने में समय लगेगा , मेरे पास बहुत काम है , जाना मुश्किल है। " मेमना ज़िद्द करने लगा , मुझे तो जाना है, जाना है ,मैं अकेला ही चला जाऊंगा। माँ ने बहुत समझाया मगर वो नहीं माना। अकेले ही जाने की ज़िद्द करने लगा, कहने लगा की मैं बड़ा हो गया हूँ ,मुझे रास्ता मालूम हैं, मै अकेले चला जाऊंगा। माँ के बहुत मन करने पर जब मेमना नहीं माना तो माँ को उसे भेजना हि पड़ा। मेमना ख़ुशी ख़ुशी जंगल की ओर बढ़ा।
जैसे मेमना जंगल में आगे बढ़ा ही था की उसे उसे खूंखार भेड़िया दिखाई दिआ।
भेड़िये ने मेमने को गरजते हुए रोक और बोला ," मेमने -मेमने कहाँ जा रहा है , मैं तुझे खाऊंगा ".
मेमने ने बिना डरे जवाब दिया ,"नानी के घर जाऊंगा दूध मलाई खाऊंगा , मोटा हो कर आऊंगा फिर तुम मुझे खा लेना"।
भेड़िये ने मेमने की बात मान ली और कहा ठीक है मैं इंतज़ार करूंगा।
मेमना जंगल में आगे बढ़ने लगा तभी उसे कला मोटा भालू दिखाई दिया।
भालू ने जब सुन्दर छोटे मैंने को देखा तो उसके मुँह में पानी आ गया।
भालू ने मेमने को रोक और बोला" मेमने -मेमने कहाँ जा रहा , है , मैं तुझे खाऊंगा ".
मेमने ने बिना डरे जवाब दिया ,"नानी के घर जाऊंगा दूध मलाई खाऊंगा , मोटा हो कर आऊंगा फिर तुम मुझे खा लेना"।
भालू ने मेमने की बात मान ली और कहा ठीक है मैं इंतज़ार करूंगा।
मेमना खूब जल्दी जल्दी आगे बढ़ रहा था तभी उसे सामने से तेंदुआ आता हुआ दिखाई दिया।
इतने नरम-नरम मांस वाले मेमने को देख कर उसके मुँह में पानी आ गया। उसने मेमने को आवाज़ दी , "मेमने ," मेमने -मेमने कहाँ जा रहा है , मैं तुझे खाऊंगा ".
मेमने ने बिना डरे जवाब दिया ,"नानी के घर जाऊंगा दूध मलाई खाऊंगा , मोटा हो कर आऊंगा फिर तुम मुझे खा लेना"।
तेंदुए ने सोचा की जब ये मोटा हो जायेगा तो इस खाने में और भी मज़ा आएगा और उसने मेमने की बात मान ली और कहा, ठीक है मैं इंतज़ार करूंगा।
मेमने को अब डर के मारे ज़ोर से भागने लगा तभी उसने शेर को आते हुए देखा।
शेर ने उससे कहा,," मेमने -मेमने कहाँ जा रहा है , मैं तुझे खाऊंगा ".
मेमने ने बिना डरे जवाब दिया ,"नानी के घर जाऊंगा दूध मलाई खाऊंगा , मोटा हो कर आऊंगा फिर तुम मुझे खा लेना"।
शेर ने मेमने की बात मान ली और कहा ठीक है मैं इंतज़ार करूंगा।
मेमने की जान में जान आई वह अब नानी के घर के पास आ चूका था। भाग कर वह नानी के घर पहुँच गया।
नानी उसे देख कर बहुत खुश हुईं ,उन्होंने उसे बहुत प्यार किया।
नानी से मिलकर वो सब कुछ भूल गया। वो रोज़ सुबह नानी के साथ घूमने जाता , नानी उसके लिए तरह तरह के पकवान बनती। नानी के प्यार दुलार में समय कैसे गुज़र गया पता ही नहीं ,फिर उसे माँ की याद आने लगी. उसने नानी से कहा ," नानी मुझे माँ की याद आ रही है मुझे घर जाना है। नानी ने कहा बेटा तुम अकेले कैसे जाओगे। मैं चला जाऊंगा नानी। एक एक मेमने ने कहा ही था की याद आया की उसका इंतज़ार तो भेड़िया, भालू ,तेंदुआ और शेर कर रहें हैं। जिनसे उसने वादा किया है की वो लौट कर आएगा तो वो उसे खा सकते हैं। उसने नानी को पूरी बात बताई। नानी भी चिंतित हो गयी। उसकी नानी को एक उपाय सूझा उन्होंने एक ढोलक ली और उसको एक तरफ से खोल दिया और उसमे मेमने को बैठा दिया।
मेमना बोला," चल मेरी ढोलक टमक टुम , टमक टुम भाईटमक टुम ढोलक लुढ़कने लगी और मेमना उसमे सवार हो अपने घर के लिए निकल पड़ा।
जंगल में सभी जानवर मेमने का इंतज़ार कर रहे थे। मेमना अपनी ढोलक में बैठ कर चला जा रहा था , कहता -चल मेरी ढोलक टमक टुम , टमक टुम भाईटमक टुम और ढोलक तेज़ी से लुढ़कने लगती।
कुछ दूर चलने पर उसे शेर दिखाई पड़ा शेर ने उससे पुछा ," ढोलक -ढोलक , तुमने कहीं मेमने को देखा है। मेमना ढोलक के अंदर से बोला ,"मै किसी मेमने -वेमने को नहीं जनता। और ढोलक से कहता," चल मेरी ढोलक टमक टुम , टमक टुम भाईटमक टुम". और ढोलक ज़ोर्र्ों से लुढ़कने लगती.
ज्यों ज्यों मेमने की ढोलक जंगल से गुज़री भालू,तेंदुआ , और भेड़िया मिले , सभी ने ढोलक से पुछा ,"ढोलक -ढोलक , तुमने कहीं मेमने को देखा है। मेमना ढोलक के अंदर से बोला ,"मै किसी मेमने -वेमने को नहीं जनता। और ढोलक से कहता," चल मेरी ढोलक टमक टुम , टमक टुम भाईटमक टुम". और ढोलक ज़ोर् से लुढ़कने लगती.
ढोलक में सवार मेमना शीघ्र अपने घर पहुँच गया। मेमने की माँ मेमने को देख कर बहुत खुश हुई।
सीख - बुद्धिमानी और हिम्मत से कोई भी काम मुश्किल नहीं होता।
सीख - बुद्धिमानी और हिम्मत से कोई भी काम मुश्किल नहीं होता।
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